इजरायली सेना (Israeli military) ने रविवार को एक कथित रूप से एक फिलिस्तीनी पत्रकार की हत्या कर दी. कुछ सप्ताह पहले उसे मैसेज भेजे गए थे कि गाजा पट्टी (Gaza Strip) में इजरायली हमलों को फिल्माना बंद कर दे. पत्रकार हसन हमद (Hassan Hamad) 19 साल का था. उसकी मौत तब हुई जब जबालिया शरणार्थी शिविर में उसके घर पर की गोलीबारी हुई. समाचार वेबसाइट 'मिडिल ईस्ट आई' ने इस बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.
इजरायली सेना ने गाजा पर हवाई हमलों के बाद शनिवार को देर रात में उत्तरी गाजा पट्टी में शिविर में टैंक और सैनिक भेजे. यह एक साल पहले गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद से जबालिया पर सेना का तीसरा जमीनी हमला था. मारे जाने से कुछ क्षण पहले तक हमद नए इजरायली हमलों पर रिपोर्टिंग कर रहे थे. उनके एक सहकर्मी ने कहा कि हमद देर रात तक हमले के बारे में वीडियो भेज रहे थे.
हमद ने रविवार को सुबह 6 बजे (सुबह 3 बजे GMT) पर अपने आखिरी फोन कॉल के दौरान, कहा, “वे वहां हैं. वे वहां हैं. यह खत्म हो गया है.”
व्हाट्सऐप मैसेज में मिली थी धमकी
अपनी हत्या से कुछ महीने पहले हमद ने अपने साथी के साथ एक इजरायली नंबर से मिले धमकी भरे व्हाट्सऐप मैसेज का स्क्रीनशॉट साझा किया था. इस मैसेज में लिखा था: “सुनो... अगर तुम इजरायल के बारे में झूठ फैलाते रहे तो हम अगली बार तुम्हारे पास आएंगे और तुम्हारे परिवार को... यह तुम्हारे लिए आखिरी चेतावनी है.”
हमद के सहकर्मियों के अनुसार, यह एक मात्र ऐसा मौका नहीं था जब हमद को उनके काम के कारण धमकियां मिली हों, उन्हें एक इजरायली अधिकारी से फोन कॉल और सीधे टेक्स्ट मैसेज भी मिले थे, जिसमें उन्हें फिल्म बनाना बंद करने का आदेश दिया गया था.
Listen, If you continue spreading lies about Israel, we'll come for you next and turn your family into [...] This is your last warning".. Journalist Hassan Hamad received this message on WhatsApp, along with several calls from an Israeli officer ordering him to stop filming in… pic.twitter.com/q6SAzMj5xc
— Maha Hussaini (@MahaGaza) October 6, 2024
मीडिया टाउन प्रोडक्शन कंपनी, जहां हमद काम करते थे, के प्रबंधक अशरफ मशहरावी ने कहा, "उन्हें पहला मैसेज 13 मई को मिला था. उसके बाद उन्हें फोन और टेक्स्ट मैसेज पर कई धमकियां मिलीं, जिसमें उन्हें काम बंद करने के लिए कहा गया था."
हमद ने धमकियां मिलने के बावजूद काम जारी रखा
मशहरावी ने कहा, "उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया. उनका मानना था कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और वे बस एक सामान्य भूमिका निभा रहे हैं जो कोई भी पत्रकार निभाता है. हमने उन्हें अपना काम कम करने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने पूरी तरह से मना कर दिया. उन्होंने कहा 'मैं धमकियों से नहीं डरूंगा. हम सही हैं और वे गलत हैं.'"
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मशहरवी ने कहा कि, "हालांकि वह अभी युवा था, लेकिन मैं इस बात से हैरान था कि उसने मैसेज को कितनी शांति से संभाला और जोर देकर कहा कि वह अपना काम जारी रखेगा."
अपनी मौत से कुछ घंटे पहले हमद ने जबालिया में एक इजरायली ड्रोन हमले से बचने के बारे में पोस्ट किया था. हमद ने कहा था, "भगवान का शुक्र है, मेरे सहयोगी, पत्रकार मोआमेन अबू अवदा और मैं जबालिया कैंप के बीच में अल-मुकैद के आसपास के क्वाडकॉप्टर शॉट्स से बच गए."
हमद गोले दागे गए थे, गोली चलाई गई थी
मशहरवी ने कहा कि यह पहली बार नहीं था जब हमद इजरायली हमलों से बचे थे. उन्होंने कहा, "इससे पहले जब वह फिल्म बना रहे थे तो उन्होंने उनके ठीक बगल में गोले दागे थे. एक बार एक क्वाडकॉप्टर ने सीधे उन पर गोली चलाई थी."
हमद ने अपनी हत्या से कुछ मिनट पहले एक्स पर अपनी आखिरी पोस्ट में जबालिया में एक आवासीय घर पर इजरायली बमबारी की सूचना दी थी जिसमें छह फिलिस्तीनी मारे गए थे. उन्होंने कहा था कि, "गाजा पट्टी के उत्तर में जबालिया कैंप में चौराहे के पास एक घर को निशाना बनाया गया. शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, छह लोग शहीद हुए हैं, जिनमें एक दूल्हा भी शामिल है, जिसकी शादी एक हफ़्ते पहले ही हुई थी."
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मशहरावी के अनुसार, इजरायली आर्टिलरी ने सीधे हमद के बेडरूम को निशाना बनाया, जहां वह इजरायली आक्रमण के दौरान फिल्माए गए फुटेज अपलोड कर रहा था.
गाजा में एक साल में 175 पत्रकारों की मौत
मशहरावी ने मिडिल ईस्ट आई को बताया, “हसन हमद को सुबह उसके बेडरूम में मार दिया गया. वह हमें कुछ सामग्री भेजने के लिए अपने कमरे में लौटा ही था कि उसे सीधे मार दिया गया. उसका भाई, जो (दूसरे कमरे में) था, थोड़ा घायल हो गया. लेकिन यह स्पष्ट है कि गोले को सीधे और विशेष रूप से हसन के बेडरूम पर जानबूझकर उसे निशाना बनाने के लिए दागा गया था.”
उन्होंने कहा कि, “जबालिया में रहने के कारण हसन को कई बार धमकाया गया. सुर्खियां बनने वाली कई तस्वीरें और वीडियो उसने ही लिए थे. जाहिर है यह (इजरायलियों) को परेशान करता था. तथ्य यह है कि उसके कवरेज ने ध्यान आकर्षित किया."
गाजा के सरकारी मीडिया कार्यालय के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 से गाजा में कम से कम 175 फिलिस्तीनी पत्रकार मारे गए हैं.
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